रविवार, 29 मई 2011

काया ही क्यो...


काया, एक जरिया है...मेरी सोच का..मेरी भावनाओ का...मेरे अंतर्मन का.....लोगो से मिलना,बाते करना लगभग सब बन्द कर रखा है मैने.....कारण दो ही हो सकते है.या तो दुनिया मुझे पसन्द नही करती या शायद मै दुनिया को....

कारण जो भी हो,मै अकेली हू....तन्हा हू..खुश भी हू....और शायद थोडी दुखी भी.ऐसे वक्त मे कोई तो हो जिससे मै बात कर सकू....कुछ कह सकू.....लिखना मेरा शौक नही है....और नाही मेरा पेशा...पर अब अकेलेपन मे इससे बेहतर मेरा कोइ साथी भी तो नही....बचपन से ही स्वभाव से अंतर्मुखी होने के कारण मै अपनी मन कि बाते लिखा करती थी या कहे बताया करती थी....मेरी सबसे करीबी और सच्ची दोस्त "ऋचा" को..यही नाम रखा था मैने अपनी डायरी का..वो मेरे बारे मे सब कुछ जानती थी.और मैने उसे सख्त हिदायत भी दे रखी थी कि ये बाते अपने आप मे ही समेट के रखे.और वो भी मेरी भावनाओ का ख्याल रखते हुए अपने आप को सहेजे..चुप चाप रहा करती थी...पर कई बार मेरे अपने लोग मेरे मन कि बाते जानने के लिये उसे परेशान किया करते और ऋचा भी न चाह्ते हुए अपने राज खोलने पर मजबुर हो जाती.पर वो कर भी क्या सकती..वो थी तो एक डायरी मात्र..जब मुझे इस बात का पता चला तो मैने ना चाहते हुए भी उसे अपनी जिन्दगी से बेहद दूर कर दिया या यु कहे मैने लिखना बन्द कर दिया..और ऋचा मुझसे दूर चली गई...मैने सोचा था कि जब कभी भी लिखना शुरू करुंगी तो अपनी डायरी का नाम काया ही रखुंगी क्युकि ऋचा कि जगह कोइ ले नही सकता...और अब कई सालो बाद फिर से कुछ लिखने का मन है..और एक बार फिर से मेरी कलम कुछ कहना चाहती है.."काया" के रूप मे...जी हा यही है मेरी नयी डायरी..जो भविष्य मे मेरे कुछ खास अनुभवो के साथ आपके सामने आती रहेगी... 

5 टिप्‍पणियां:

  1. आपने अपनी तन्हाईयों को दर किनार करने का यक़ीनन एक बेहतरीन माध्यम ढुंढा है..निश्चित ही आपके अंतर्मुखी व्यक्तित्व का सार्थक लाभ हिन्दी ब्लॉग जगत को मिले यही अपेक्षा है आपसे..कहते हैं कि तन्हा ईन्सान अपने आप में या तो बिरला होता है या फिर नक़ारा...पर आपकी सकरात्मकता तो आपके ब्लॉग की सजावट मात्र देखने से पता चल गयी..आशा है कि"काया" माधयम बनेगी उन लोगों से जुड़ाव क़ायम रखने का जिनसे आप दूर चली गयीं है....अनंत शुभकामनायें... ...

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  2. धन्यवाद सत्यप्रकाश जी....बस छोटी सी कोशिश की है.......

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  3. यह ब्लॉग इतना अच्छा होगा , सची, कल्पना नहीं थी. मेरी शुभकामनाए.

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  4. bahut bahut dhanyavaad shankar ji....ke aapki nazar is blog par padi...thxs...n pls keep reading...

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